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History CH1 Notes यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय in Hindi

 " यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय " 



History CH1 Notes यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय in Hindi


18 वीं सदी में कई देश जैसे जर्मनी , इटली तथा स्विटजरलैंड आदि उस रूप में नहीं थे जैसा कि आज हम इन्हें देखते हैं । ये छोटे - छोटे राज्यों में विभाजित थे जिनका अपना एक स्वतंत्र शासक था ।

  • 1804 की नेपोलियन संहिता :-

 इसे 1804 में लागू किया गया । इसने जन्म पर आधारित विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया । इसने न केवल न्याय के समक्ष समानता स्थापित की बल्कि सम्पत्ति के अधिकार को भी सुरक्षित किया। 

  •  वियना कांग्रेस :- 

 1815 में ब्रिटेन , प्रशा , रूस और ऑस्ट्रिया जैसी यूरोपीय शक्तियों ( जिन्होंने मिलकर नेपोलियन को हराया था ) के प्रतिनिधि यूरोप के लिए एक समझौता तैयार करने के लिए वियना में इकट्ठा हुए जिसकी अध्यक्षता आस्ट्रिया के चांसलर ड्यूक मैटरनिख ने की ।


नेपोलियन कौन था ? 

  •  नेपोलियन ( 15 AUG 1769 ) एक महान सम्राट था जिसने अपने व्यक्तित्व एवं कार्यों से पूरे यूरोप के इतिहास को प्रभावित किया ।

  • अपनी योग्यता के बल पर 24 वर्ष की आयु में ही सेनापति बन गया ।

  •  उसने कई युद्धों में फ्रांसीसी सेना को जीत दिलाई और अपार लोकप्रियता हासिल कर ली फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा और फ्रांस का शासक बन गया ।


उदारवाद :-

  • उदारवाद यानि Liberalism शब्द लातिनी भाषा के मूल शब्द liber पर आधारित है । जिसका अर्थ है स्वतंत्रता । नए मध्यम वर्ग के लिए उदारवाद का अभिप्राय था व्यक्ति के लिए आज़ादी व कानून के समक्ष समानता । 


 रूढ़िवाद :-

  •  एक ऐसा राजनीतिक दर्शन जो पंरपरा , स्थापित संस्थानों , पौराणिक परंपराओं और रिवाजों पर बल देता है ।


 कुलीन वर्ग :- 

  •  ये जमीन के मालिक थे । यह यूरोपीय महाद्वीप का सबसे शक्तिशाली वर्ग था । 


 निरंकुशवाद :- 

  •  एक ऐसी सरकार या शासन व्यवस्था जिसकी सत्ता पर किसी प्रकार का कोई अंकुश नहीं होता ।


जनमत संग्रह :-

  •  एक प्रत्यक्ष मतदान जिसके द्वारा एक क्षेत्र की सारी जनता से किसी प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए पूछा जाता है । 


यूटोपिया ( कल्पनादर्श ) :- 

  •  एक ऐसे समाज की कल्पना जो इतना आदर्श है कि उसका साकार होना लगभग असंभव होता है ।


रूमानीवाद :-

  • एक ऐसा सांस्कृतिक आंदोलन जो एक खास तरह की राष्ट्रीय भावना का विकास करना चाहता था । 


 नारीवाद स्त्री :- 

  •  पुरूष को सामाजिक , आर्थिक एवं राजनीतिक समानता की सोच के आधार पर महिलाओं के अधिकारों और हितों का बोध नारीवाद है । 


जुंकर्स :-

  • प्रशा की एक सामाजिक श्रेणी का नाम जिसमें बड़े - बड़े ज़मींदार शामिल थे । 


 यूरोप में राष्ट्रवाद :-

  •  यूरोप में राष्ट्रवादी चेतना की शुरुआत फ्रांस से होती है


 1789 की फ्रांसीसी क्रांति :- 

  • 1789 की फ्रांसीसी क्रांति राष्ट्रवाद की पहली स्पष्ट अभिव्यक्ति थी । इसने फ्रांस में राजतंत्र समाप्त कर प्रभुसत्ता फ्रांसीसी नागरिकों को सौंपी । इस क्रांति से पहले फ्रांस एक ऐसा राज्य था जिसके संपूर्ण भू - भाग पर एक निरंकुश राजा का शासन था । 


 सामूहिक पहचान बनाने के लिए उठाये गए कदम :-

1. प्रत्येक राज्य से एक स्टेट जनरल चुना गया और उसका नाम बदलकर नेशनल असेंबली कर दिया गया ।

 2. फ्रेंच भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित कर दिया गया ।

 3. एक प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई जिससे सबको समान कानून का अनुभव हो ।

 4. आंतरिक आयात निर्यात , सीमा शुल्क समाप्त कर दिया गया और भार तथा माफ की एक समान व्यवस्था लागू की गई ।

 स्कूल और कॉलेज की छात्राओं द्वारा भी समर्थन के रूप में क्लब का गठन किया गया जिनका नाम दिया गया जैकोबिन क्लब ।

फ्रांस की आर्मी ने समर्थन के तौर पर हर विदेशी क्षेत्र में भेज दिए गए जिससे राष्ट्रवादी भावना और बढ़ती चली गई ।


नेपोलियन का शासन काल :-

  • जब नेपोलियन फ्रांस पर अपना शासन चलाना शुरू किया तो उन्होंने प्रजातंत्र को हटाकर उन्हें राजतंत्र को स्थापित कर दिया ।

 नागरिक संहिता या नेपोलियन की संहिता 1804 

  •  कानून के समक्ष सबको बराबर रखा गया ।

  •  संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया ।

  •  भू - दासत्व और जागीरदारी शुल्क से मुक्ति दिलाई ।

जागीरदारी :- इसके तहत किसानों जमींदारों और उद्योगपतियों द्वारा तैयार समान का कुछ हिस्सा कर के रूप में सरकार को देना पड़ता था ।

  •  नेपोलियन के समय ही व्यापार आवागमन एवं संचार में बहुत ज्यादा विकास हुआ ।

  • राष्ट्रीयवादी विचार को बांटने के लिए उन्होंने कुछ क्षेत्रों में कब्जा कर लिया और कर को बढ़ाना और जबरन भर्ती जैसे अनेक कानून व्यवस्था स्थापित कर दिया ।


यूरोप में राष्ट्रवाद का निर्माण :-

  •  किसी भी राष्ट्र के निर्माण के लिए एक सामूहिक पहचान , संस्कृति परंपरा आदि का समान होना जरूरी है ।

  • यूरोप में अलग - अलग समाज था ।

  •  जैसे : - हैब्सबर्ग साम्राज्य में लोग जर्मन , अंग्रेजी , फ्रेंच , इटली आदि अलग - अलग भाषाएं बोलते।


यूरोपीय समाज की संरचना ( 19 शताब्दी के पहले )

  •  यूरोपियन समाज असमान रूप से दो भागों में विभाजित था।

 1. उच्च वर्ग ( कुलीन वर्ग )

 2. निम्न वर्ग ( कृषक वर्ग )


 उच्च वर्ग कुलीन वर्ग :-

  • कम जनसंख्या ।

  •  उच्च वर्ग तथा वर्चस्व जमाने वाला ।

  •  जमींदार यानी ढेर सारे खेतों के मालिक ।

  • सभी अधिकार दिए जाते थे ।


  निम्न वर्ग कृषक वर्ग :-

  •  अधिक जनसंख्या ।

  • निम्न वर्ग 

  •  जमीन हीन यानी या तो जमीन न थी या तो किराए पर रहते थे ।

  • किसी भी प्रकार के अधिकार नहीं दिए जाते थे ।


 1.) यानी यूरोपियन समाज असमान रूप से विभाजित ।


2.) उन्नीसवीं सदी के बाद एक नया वर्ग जुड़ गया वह था नया मध्यवर्ग ।


नया मध्यवर्ग :-

  •  इसमें सभी पढ़े - लिखे लोग थे जैसे शिक्षक , डॉ , उद्योगपति , व्यापारी आदि ।

  •  पढ़े - लिखे होने के नाते उन्होंने एक समान कानून की मांग की यानी उदारवादी राष्ट्रवाद ।


उदारवादी राष्ट्रवाद :-

  • व्यक्तिगत स्वतंत्रता 

  • कानून के समक्ष सब एक समान

  •  सरकार का पक्षधर 

  • बाजार की स्वतंत्रता 

  • इस उदारवादी राष्ट्रवाद के चलते राष्ट्रवाद का विचार सब जगह फैलने लगा ।

  • इसी वजह से 1789 में फ्रांस की क्रांति हुई ।

  • इससे एक राज्य के अंदर जो भी नियंत्रण ( चीजों तथा पूंजी के आगमन पर ) था उसे खत्म कर दिया गया लेकिन अलग - अलग राज्यों के बीच के नियंत्रण यानी सीमा शुल्क को खत्म नहीं कर पाया ।

  •  इसके लिए एक संगठन बनाया गया जिसका नाम था " जॉलबेराइन " ( zollverein ) 


  •  जितने भी शुल्क अवरोध थे उसे समाप्त कर दिया गया ।

  •  मुद्राओं की संख्या दो कर दी , इससे पहले 30 से ज्यादा थी 


  • नेपोलियन के समय केवल पुरुष जिनके पास धन है वही वोट दे सकते थे ।


जॉलवेराइन :-

  •  यह एक जर्मन शुल्क संघ था जिसमें अधिकांश जर्मन राज्य शामिल थे । यह संघ 1834 में प्रशा की पहल पर स्थापित हुआ था । इसमें विभिन्न राज्यों के बीच शुल्क अवरोधों को समाप्त कर दिया गया और मुद्राओं की संख्या दो कर दी गइ । जो पहले बीस से भी अधिक थीं यह संघ जर्मनी के आर्थिक एकीकरण का प्रतीक था ।


 रूढ़ीवाद ( 1815 के बाद नया रूढ़िवादी ) 

  •  1815 में नेपोलियन को हरा दिया गया इसके लिए ऑस्ट्रिया , प्रशा , रूस , ब्रिटेन ने मिलकर काम किया ( वाटर लू की लड़ाई में )

  •  इसके बाद यूरोपीय सरकार पारंपरिक संस्थाएं और परिवार को बनाए रखना चाहते थे ।

  •  इसके लिए उन्होंने नेपोलियन के समय जितने भी बदलाव हुए थे उन सब को खत्म कर दिया गया जिसके लिए एक समझौता किया गया जिसका नाम था वियना समझौता या वियना संधि ।


 संधि के तहत मुख्य 3 निर्णय लिया गया :- 

  • पहला फ्रांस की सीमाओं पर कई राज्य कायम कर दिया गया ताकि भविष्य में फ्रांस अपना विस्तार ना कर सके ।

  •  फ्रांसीसी क्रांति के दौरान हटाए गए बूर्वो वंश को सत्ता में बहाल किया गया।

  •  तीसरा राजतंत्र को जारी रखा गया ।


 यूरोप में क्रांतिकारियों :-

  •  यूरोपियन सरकार के इन सारे निर्णय के विरोध में क्रांतिकारी ने जन्म लिया ।

  •  क्रांतिकारियों ने अंदर ही अंदर कुछ खुफिया समाज का निर्माण किया ।

  • जिनका मुख्य मकसद ( लक्ष्य ) था ।

  •   राष्ट्रवाद को बढ़ावा देना ।

  •  वियना संधि की विरोध करना ।

  •  स्वतंत्रता के लिए लड़ना ।


ज्युसेपी मेसिनी एक क्रांतिकारी :-

  •  इटली का एक महान क्रांतिकारी जिसने “ यंग इटली ' नामक आंदोलन चलाया और जिसके फलस्वरूप इटली में एकीकरण की भावना को बल मिला । वह राजतन्त्र के घोर विरोधी थे ।

  •  सभी रूढ़ीवादी ज्युसेपी मेसिनी से डरते थे क्योंकि वह इटली का एकीकरण चाहते थे ।


 भूख कठिनाई और जन विद्रोह :-

  •  1830 को कठिनाइयों का महान साल भी कहा जाता है।


कारण 

  •  जबरदस्त जनसंख्या वृद्धि 

  •  लोग गांव से शहर की ओर रुख कर दिए 

  •  बेरोजगारी में वृद्धि 

  • गरीबी में वृद्धि 

  • इसी सालों के दौरान फसल बर्बाद हो गई जिससे खाने की सामग्री की कीमत बढ़ने लगी और छोटे - छोटे फैक्ट्रियां बंद होने लगी ।

  •  खाने पीने की कमी और व्यापक बेरोजगारी , 


  •  इन सभी कारणों से लोगों ने सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया लोग सड़कों पर उतर आएँ जगह - जगह अवरोध लगाया गया । जिसे कृषक विद्रोह के नाम से जाना गया । 

  • जिससे यूरोपियन सरकार को गणतंत्र राज्य घोषित कर दिया गया ।


गणतंत्र के बाद कानून में आये बदलाव :-

  •  21 साल से अधिक उम्र के लोगों को वोट डालने का अधिकार ।

  •  सभी नागरिकों को काम के अधिकार की गारंटी दि गई ।

  • रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कारखाने उपलब्ध कराए गए ।

  •  इन सभी से धीरे - धीरे गरीबी और बेरोजगारी कम होने लगी । 


 जर्मनी और इटली का निर्माण 


  •  जर्मनी का एकीकरण :-

  •  1848 में यूरोपियन सरकार ने बहुत कोशिश किया कि वे जर्मनी का एकीकरण कर दे परंतु वह ऐसा नहीं कर पाए ।

  • क्योंकि , राष्ट्र निर्माण की यह उदारवादी पहल राजशाही और फौज की ताकत ने मिलकर दबा दी ।

  •  उसके बाद प्रशा ने यह भार अपने ऊपर लेते हुए कहा कि वे जर्मनी का एकीकरण करके ही रहेंगे ।

  •  उस समय प्रशा का मुख्यमंत्री ऑटोमन बिस्मार्क था ( जनक ) 

  • प्रशा ने एक राष्ट्रीय एकीकरण के आंदोलन का नेतृत्व किया ।

  •  7 वर्ष के दौरान ऑस्ट्रिया , डेनमार्क और फ्रांस से तीन युद्ध में प्रशा की जीत हुई और एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई ।

  • जनवरी 1871 में , वर्साय में हुए एक समारोह में प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया ।


इटली का एकीकरण :-

  • इटली अनेक वंशानुगत राज्य तथा बहुराष्ट्रीय हैब्सबर्ग साम्राज्य में बिखरा हुआ था ।

  •  केवल एक सार्डिया पीडमॉण्ड में एक इतालवी राजघराने का शासन था ।

  • इटली एकीकरण के प्रक्रिया का अध्ययन करने के लिए हमें तीन लोगों पर विचार करना होगा ।

 ज्युसेपे मेसिनी 

 कावूर 

 ज्युसेपे गैरीबॉल्डी


ज्यूसेपे मेत्सिनी :-

  •  इटली का एक महान क्रांतिकारी जिसने “ यंग इटली ' नामक आंदोलन चलाया और जिसके फलस्वरूप इटली में एकीकरण की भावना को बल मिला । वह राजतन्त्र के घोर विरोधी थे ।

  •  1831 और 1848 में क्रांतिकारी विद्रोह की असफलता से युद्ध के जरिए इतालवी राज्यों को जोड़ने की जिम्मेदारी सार्डिया - पीडमॉण्ड के शासक विक्टर इमेनुएल द्वितीय पर आ गई ।


गैरीबाल्डी :- 

  •  इटली का महान क्रांतिकारी जो मेत्सिनी का सहयोगी व समकालीन था । उसने लाल कुर्ती नामक सेना तैयार की जिसकी सहायता से उसने ऑस्ट्रिया को हराया । उसने इटली की स्वतंत्रता के लिए कई आंदोलन किए । 


 कावूर :- 

  • कावूर को इटली का बिस्मार्क माना जाता है । वह इटली के सार्जीनिया राज्य का प्रधानमंत्री था । उसने सर्वप्रथम अपने राज्य को इटली में मिलाने का कार्य किया ।


 ब्रिटेन ( ब्रितानी ) की एकीकरण :-

  •  ब्रिटेन साम्राज्य में - अंग्रेज , वेल्श , स्कॉट या आयरिश जैसे ढेर सारा समाज था जिसे नृजातीय कहते थे ।

  •  औद्योगिक क्रांति के बाद ब्रिटेन की आर्थिक शक्ति बहुत ज्यादा बढ़ गई थी ।

  • इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच एक्ट ऑफ यूनियन से " यूनाइटेड किंग्डम आफ ग्रेट ब्रिटेन " का गठन हुआ ।

  • कुछ साल बाद इसके अंदर आयरलैंड को भी जोड़ दिया गया ब्रिटेन एक नया राष्ट्र का निर्माण हुआ ।


 इंग्लैंड + स्कॉटलैंड + आयरलैंड = यूनाइटेड किंग्डम 


राष्ट्र के निर्माण के बाद 

1. राष्ट्रगान लिखी गई ।

 2. अङ्ग्रेजी को मुख्य भाषा बनाया गया 

3. ब्रिटेन का राष्ट्रध्वज भी बनाया गया ।


 राष्ट्रीय की दृश्य कल्पना 


रूपक : -

  •   जब किसी अमूर्त विचार ( जैसे- लालच , स्वतंत्रता , ईर्ष्या , मुक्ति ) को किसी व्यक्ति या किसी चीज के जरिए इंगित किया जाता है तो रूपक कहते हैं ।

  •  18 वीं और 19 वीं शताब्दी में रूपक का प्रयोग राष्ट्रवादी भावना के विकास और मजबूत बनाने में किया जाता था।


राष्ट्रवाद और साम्राज्यवाद :-

  •  19 वीं सदी तक जो राष्ट्रवाद की भावना थी अब वह साम्राज्यवाद में बदलने लगा ।

  • साम्राज्यवाद : - जब कोई देश , अपने देश की शक्ति को बढ़ाता है , आर्मी और अन्य साधन का प्रयोग करके उसे साम्राज्यवाद कहते हैं ।

  •  1871 के बाद यूरोप में गंभीर राष्ट्रवादी तनाव का स्रोत बाल्कन क्षेत्र था ।

  • इस क्षेत्र में भौगोलिक और जातीय भिन्नता थी ।

  • इसमें आधुनिक - रोमानिया , बुल्गारिया , अल्बेनिया , यूनान , क्रोएशिया बोस्निया , हर्जेगोविना , स्लोवेनिया सर्बिया और सर्बिया शामिल थे।

  •  बाल्कन क्षेत्र में रोमानी राष्ट्रवाद के विचार फैलने और ऑटोमन साम्राज्य के विघटन से स्थिति काफी विस्फोटक हो गई ।

  •  उस समय जितने भी बड़ी शक्तियां थी जैसी जर्मन ब्रिटेन रूस अपनी शक्तियों को बढ़ाना चाहते थे ।

  •  बाल्कन क्षेत्र को अपने - अपने में शामिल करना चाहते थे ।

  • इसके लिए अनेक युद्ध हुए जिनके नतीजे कुछ भी नहीं निकला और प्रथम विश्व युद्ध हुआ जिससे राष्ट्रवाद की भावना पूरे विश्व में फैल गई ।


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